वीणा-ऑनलाइन

"हिन्दी की सबसे पुरानी साहित्यिक पत्रिका वीणा अब इंटरनेट पर भी पढ़ी जा सकेगी. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नवम्बर २०११ में  वीणा की वेबसाईट का लोकार्पण किया |शायद आपको ये जानकर हैरानी होगी कि वीणा भारत की एकमात्र साहित्यिक पत्रिका है जो १९२७ से निरंतर प्रकाशित हो रही है. " 

इंटरनेट पर उपलब्ध हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकाओं की सूची  में एक नया नाम और जुड गया है. खास बात ये है कि  इस सूची में शामिल ये नया नाम हिन्दी की (और संभवतः न सिर्फ हिन्दी बल्कि भारत की) सबसे पुरानी साहित्यिक पत्रिका का है. इन्दौर स्थित श्रीमध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति  ने अपनी साहित्यिक पत्रिका वीणा को इंटरनेट पर उपलब्ध करा दिया है.

इंदौर में हुए समिति के शताब्दी समारोह में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वीणा की वेबसाईट का औपचारिक लोकार्पण किया.इस अवसर पर पूणे के साहित्यकार श्री आनंद प्रकाश दिक्षीत, भोपाल के श्री रमेश दवे, राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कवि एवं मध्यप्रदेश खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण सत्तन, इंदौर की सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन, समिति के प्रधानमंत्री श्री बसंत सिंह जौहरी, वीणा के तत्कालीन संपादक डा. विनायक पाण्डेय और वीणा को नेट पर लाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवा टीवी पत्रकार श्री सुबोध खंडेलवाल व् उनके सहयोगी सुधेंदु कोपरगाँवकर उपस्थित थे| वर्तमान में श्री राकेश शर्मा वीणा के संपादक का दायित्व निभा रहे है

श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी वीणा को वैश्विक स्वरुप देने के समिति के इस प्रयास की प्रशंसा की उन्होंने कहा कि वीणा जैसी साहित्यिक पत्रिकाएँ ही समाज को संस्कार दे सकती है.

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वीणा के संपादक ने बताया कि वीणा  का पहला अंक सन १९२७में प्रकाशित हुआ था. ये देश की एकमात्र पत्रिका है जो तब से अब तक निरंतर प्रकाशित हो रही है. उन्होंने कहा कि  इंटरनेट पर आने के बाद वीणा के सुर पूरे विश्व में गूंजेंगे तथा विश्व भर में फैले रचनाकार इस पत्रिका से जुड सकेंगे.

आपने बताया कि वीणा की ये साईट पिछले कुछ समय से परीक्षण की अवस्था में थी. वर्त्तमान में इस साईट पर वीणा के दो वर्षों के अंक देखे जा सकते है.उन्होंने कहा कि समिति वीणा के विगत ८४ वर्षों के सभी अंकों को आनलाइन करना चाहती है और इसके लिए विभिन्न स्तरों पर सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही है.