वीणा

शताब्दी की ओर अग्रसर - वर्ष १९२७ से अविछिन्न रूप से प्रकाशित देश की एकमात्र हिंदी पत्रिका

स्वर से, लय से, ताल सहित हो, बजती रहना तब तक वीणे | अहितो से यह देश रहित हो, विक्रम - क्रम-धृत जब तक वीणे

'वीणा' का संक्षिप्‍त परिचय

राष्‍ट्रभाषा हिंदी एवं साहित्‍य के मूल्‍यों को समाज तक पहुँचाने के उद्देश्‍य से समिति ने सन् १९२७ में 'वीणा' पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया था। इस तरह यह भारत की किसी भी भाषा में निरन्तर प्रकाशित होने वाली सबसे पुरानी मासिक पत्रिका है। ‘वीणा’ ने हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य और संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक योगदान दिया है। आज अगर हिन्दी देश की राजभाषा है तो इसके पीछे कहीं-न-कहीं श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर और ‘वीणा’ का योगदान है। देश के सभी बड़े रचनाकार ‘वीणा’ के लेखक रहे हैं। ‘वीणा’ कभी किसी वाद या विचारधारा से बँधी नहीं रही, किन्तु सत्य का मार्ग कभी नहीं छोड़ा। वह नैतिक और मानवीय मूल्यों की पक्षधर रही है और इसी मार्ग पर आज भी चल रही है।

पण्डित अम्बिकाप्रसाद त्रिपाठी के सम्पादन में वीणा का पहला अंक अक्टूबर, १९२७ में प्रकाशित हुआ। 'वीणा ' को प्रारंभ से ही देश के अनेक शलाका-पुरुषों, चिंतकों एवं मूर्धन्य साहित्यकारों का सक्रिय सहयोग प्राप्त होता रहा है। महामना पं. मदनमोहन मालवीय, राष्‍ट्रपिता महात्मा गाँधी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, काका कालेलकर, भारतरत्न डॉ. भगवानदास आदि महापुरुषों एवं देश के प्रख्यात चिन्तकों जैसे जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', महादेवी वर्मा, डॉ. हरिवंशराय बच्चन, पं. बालकृष्‍ण शर्मा 'नवीन' , सुभद्राकुमारी चौहान, माखनलाल चतुर्वेदी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. नगेन्द्र, बाबू गुलाबराय, प्रेमचन्द, अज्ञेय, वृन्दावनलाल वर्मा, रामकुमार वर्मा, शिवमंगल सिंह 'सुमन ' आदि की लेखनी का प्रसाद 'वीणा ' को मिलता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी भी युवावस्था में 'वीणा' के लेखक रहे हैं।

'वीणा' समकालीन और संभावनाशील लेखकों की रचनाओं को समान रूप से प्रकाशित करती है। 'वीणा' के शोधपरक लेख विद्यार्थियों के लिए काफी उपयोगी साबित होते हैं। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने एक समारोह में कहा था – ''शोध और साहित्यिक पत्रिका के रूप में 'वीणा' का पूरे देश में विशिष्ट स्थान है।'' 'वीणा ' का सम्पादन अभी तक चौदह मनीषियों ने किया है। पं.अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी 'वीणा' के पहले सम्पादक थे। वर्तमान में श्री राकेश शर्मा यह दायित्व निभा रहे है। विभिन्न अवसरों पर 'वीणा' के ३१ विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं।